*🎯 ये तो होना ही था....❗*😜😜😜😜

*मंगल पांडे को चरबी लगे कारतूस से समस्या थी , अंग्रेज सरकार की नौकरी से समस्या नहीं थी.उसकी बंदूक से निकली गोली भारतीय नागरिकों के लिए थी , अगर कारतूस में चरबी ना होती तो वो भारतीय नागरिकों पर बंदूक चलाता रहता लेकिन आज वो क्रांति का प्रतीक है*

*तेज बहादुर यादव की बंदूक की गोली दुश्मन देश के लिए थी उसे बहादुरी के लिए मेडल भी मिले है.खाने को लेकर उसकी शिकायत केवल अपने लिए नहीं , अपने साथियों के लिए थी. उसे नौकरी से निकाल दिया गया और आज  संघी सरकार के खिलाफ चुनाव लड़ने के कारण उसे संघी देशद्रोही साबित करने में जुटे है.जबकि मंगल पांडेय  साधारण परिवार का था , अंग्रेज का गुलाम सिपाही था वहीं तेज बहादुर यादव  स्वतंत्र भारत की सेना का लड़ाकू फौजी जिसके दादा जी  भी सुभाषचंद्र बोस की आज़ाद हिंद फौज के सदस्य थे.*

*पहली बात तो यह कि तेज बहादुर का यादव टाइटल होना  ही देशद्रोही साबित कर रहा है ठीक उसी तरह जैसे चारा घोटाला को उजागर करने वाले लालू प्रसाद को  तीन पांच करके जेल में डाल दिया  गया है और चाराचोर जगन्नाथ मिश्रा , चाराचोर भूमिहार जगदीश शर्मा , चाराचोर के मास्टरमाइंड कायस्थ श्यामबिहारी सिंहा को बेल।  अगर यही तेजबहादुर का टाइटल पांडेय होता , मिश्रा होता , झा होता , दुबे होता , मित्तल होता , गर्ग होता , जैन होता तो देशभक्त , क्रन्तिकारी होता*

*जिस दिन आप तेज बहादुर यादव और मंगल पांडे के अंतर को समझ जाओगे , उस दिन आप भारत में व्याप्त जातिवाद , मनुवाद और वर्णवाद को समझ जाएंगे.जिस दिन आपको सैनिक तेज बहादुर यादव और सिपाही मंगल पांडेय में फर्क समझ में आ जायेगा उस दिन आप यह समझ जाएंगे कि क्यों मुट्ठीभर बनिया ब्राह्मण 85 प्रतिशत आबादी को जर, जमीन , धन संपदा , शासनसत्ता से दूर रखने में कामयाब हो रहा है.जिस दिन आप यह पता लगाने में कामयाब हो जाएंगे कि तेजबहादुर यादव शूरवीर होते हुए  भी जनेऊधारी लोगों के लिए नफरत है  जबकि मंगल पांडेय क्रांतिकारी है.उसी दिन आप यह भी समझ जाएंगे कि किस तरह साजिश के तहत धर्म और जाति में घृणा फैलाकर एक इंसान को ऊंचा बनाया जाता रहा है और दूसरे इंसान को अछूत, नीच , साधनविहीन.*

*आज दलित आदिवासी पिछड़े को मुस्लिम के खिलाफ भड़का कर बीजेपी , आरएसएस , सत्ता की मलाई ब्राह्मण ,बनिया मजे से आपस में बांटकर खा रहे हैं। देश की किसान बिरादरी , पशुपालक बिरादरी  ,  मज़दूर दलित आदिवासी बिरादरी फटेहाल , गरीब , अशिक्षित , साधनविहीन होकर तंगहाल जीवन गुजरने पर मजबूर है.न तो देश की सरकार का मंत्रिमंडल समावेशी है और न ही देश की न्यायपालिका समावेशी है.व्यापार वाणिज्य पर बनिया वर्ग का कब्ज़ा है तो शिक्षा और शासन तंत्र पर ब्राह्मण वर्ग का कब्ज़ा..*

*इन सारी बातों को जिस दिन भारत के बहुसंख्यक वर्ग  दलित , आदिवासी, पिछड़े मुस्लिम  समझ लेंगे उसी दिन देश में क्रांति आ जाएगी.*

*तेज भी था ...❗*
    *बहादुर भी था...❗*
           *मूलनिवासी भी था ....❗*
*तो भाई.....❗*
*नामांकन तो रद्द होना ही था !!*

😊

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