कब तक मौन रहेगा गायक,गीत आग के गा?? जाग स्वयं और सुप्त क्रांति को फिर से आज जगा.

कब तक मौन रहेगा गायक,गीत आग के गा??
जाग स्वयं और सुप्त क्रांति को फिर से आज जगा.

इस देश की मीडिया बेईमान है..इसे भाजपा का झूठ और दूसरों का परिवारवाद, मायावती का टिकट बेचना तथा शौचालय निर्माण में घूस,आवास आवंटन में घूस,अनाज खरीदी में बेइमानी तो दिखाई नहीं देता. उसे पैकेज चाहिए.. फिर कुछ भी किसी के पक्ष में दिखाने को आतुर हैं.कह रहे हैं हम लोकतंत्र के चौथा खम्भा हैं. ये खम्भे न भी होते तो देश का कुछ नुकसान नहीं होता...क्योंकि बहुत सारे चैनल भविष्य बताने वाले ज्योतिषियों के सहारे हैं. जो किताबें या ग्रन्थ सौ दो सौ साल पुरानी हैं, उन्हें ईश्वर द्वारा रचित बताने की होड़ लगी है.किसी बाबा को बनारस का शहर कोतवाल बताया जा रहा है, फिर वहाँ पुलिस, प्रशासन, एस.पी.,थानाध्यक्ष हटा लीजिये. और जो बाबा चाहते हैं, वही होगा और बाबा के दर्शन तो सभी कर रहे हैं... फिर तो पहले बाबा के ताबीज और प्रसाद लड़ेंगे...यदि ऐसा ही भरोसा है बाबा पर है तो बी.एस.एफ.के जवान को लड़ लेने देते चुनाव.हमारी मीडिया ने लोकतंत्र और संविधान का तमाशा बनाकर रख दिया है.संविधान किसी भी देश के लिये किसी धार्मिक ग्रंथ से ऊपर होता है.इस देश के बहुसंख्यक आबादी बहुजन को समझ के साथ आपस में रोटी, बेटी और राजनीतिक रिश्ते कायम् करने होंगे.. मनुष्य और मनुष्य की बराबरी को सत्यता पूर्वक स्वीकार कर आचरण,व्यवहार में उतारना होगा. दूसरी तरफ ऐसी शक्तियां हैं जो धर्म,जाति- पांति, ऊंच -नीच कायम् रखने की पक्षधर हैं.और धर्म सत्ता और राजसत्ता पर धोखे से कायम् हैं.उसका एकमात्र समाधान है.देश के बहसंख्यक आबादी की वैचारिक एकता... सुरेन्द्र कुशवाहा.

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