उन्नाव हसनगंज ,बताते चले कमेटी के अध्यक्ष हाजी फ़िरोज़ ने बताया लगभग 107 वर्ष पहले तसद्दुक हुसैन शहीद कानपुर में मोहल्ला नई सड़क में एक मस्जिद में इमाम थे अंग्रेज़ों की हुकूमत थी देश में अंग्रेजों की तानाशाही चल रही थी महिलाओं पर उत्पीड़न बच्चों पर उत्पीड़न
व अंग्रेज़ भारत की गंगा जमुनी तजीब को बिगाड़ने पर लगे हुए थे कानपुर में अंग्रेजों ने मौलवी का विरोध किया जिसपर मौलवी ने अंग्रेजों से कहा तुम्हारी ज़्यादती बर्दास्त नहीं करेंगे
जिस पर अंग्रेजों ने मौलवी को गोली मार कर शहीद कर दिया
शहीद होने के बाद से हर वर्ष उर्स होता चला आरहा है
उर्स का आयोजन जुलूस के साथ सम्पन हुआ जो कि छोटी मस्जिद से लेकर तहसील कम्पाउंड स्थित मज़ार हसन रज़ा तक गया
उसके बाद मौलाना कमर गनी उस्मानी मौलाना गुलाम हुसैन हाफिज रिज़वान ने तकरीर का एहतिमाम किया गया वहीं पर इस्लाम का पैगाम देते हुए भाई चारे का पैगाम दिया तथा आपस में मिल जुलकर रहने की बात कही
तकरीर समाप्त होने के बाद देश व गंगा जमुनी भाई चारे के लिए दोआ मांगी
प्रोग्राम में गुलज़ार मज़हर नेता कासिम उस्मान परवेज़ फ़ारूक़ मुसर्रफ मुन्ना फुरकान रमेश गोलू राकेश रावत खालिद जुनेद हामिद मुख्तार सईद गुड्डू कमाल फ़िरोज़ निखिल मुश्ताक चांद भाई अकबर भाई अयूब हाशमी मोहम्मद गुड्डू गुलजार अख्तर पप्पू मुशर्रफ भाई आदि उपस्थित रहे।
*रिपोर्ट .मोहम्मद इदरीश उन्नाव*