कब्र के आगोश में जब थक के सो जाती है माँ _ अनिल कुमार मौर्य


तब कहीं जाकर थोड़ा सुकून पाती है माँ,
फिक्र में बच्चों के कुछ ऐसे ही घुल जाती है माँ,
नौजवा होते हुए बूढ़ी नज़र आती है माँ,
कब ज़रूरत हो मेरे बच्चे को इतना सोच कर,
जागती रहती है आँखें और सो जाती है माँ,
रूह के रिश्तों की ये गहराईयाँ तो देखिये,
चोट लगती है हमे और चिल्लाती है माँ,
लौट कर वापस सफर से जब भी घर आती है माँ,
डाल कर बाहें गले में सर को सहलाती है माँ,
शुक्रिया हो नही सकता कभी उसका अदा,
मरते मरते भी दुआ जीने की दे जाती है माँ,
मरते दम बच्चा अगर आ पाये ना परदेस से,
अपनी दोनों पुतलियाँ चौखट पे रख जाती है माँ,
प्यार कहते है किसे और ममता क्या चीज है,
ये तो उन बच्चों से पूछो,के जिनकी मर जाती है माँ।

आई मिस यू माँ
😢😭
           
🌹🌹हैप्पी मदर्स डे🌹🌹

         अनिल कुमार मौर्य

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