भाजपा के लिए वरदान साबित हुए कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी बाहुबली

सन्त कबीर नगर - एक समय इस लोकसभा की सीट गठबंधन की झोली मे साफ नजर आ रही थी । गठबंधन की जातीय समीकरण वाला वोट बैंक मात दे रहा था । लेकिन जैसे ही कांग्रेस ने परवेज खान की जगह बाहुबली नेता भालचन्द्र यादव को उम्मीदवार घोषित किया तैसे ही बीजेपी उम्मीदवार की जीत को पक्का माना जाने लगा राजनीति के जानकर यह मानने लग गये थे कि बीजेपी का दिन बहुर गया वर्ना इस बार हार निश्चित था । चूंकि चुनावी नतीजे अनिश्चिता का होता है । इसीलिए कब और कैसे उलटफेर हो जायेगा इसे कोई निश्चित रुप से कह नही सकता । बहरहाल जितने अंतर से बीजेपी उम्मीदवार को जीत मिली है और कांग्रेस ने जिस तरह से बढ़त की है उस दृष्टि से अगर देखा जाय तो इस जीत का श्रेय कांग्रेस उम्मीदवार बाहुबली को जाता है जो टर्निंग प्वाइंट बनकर उभरे है वर्ना बीजेपी की सीट यहां से निकलना मुश्किल ही नही नामुमकिन भी था । चार घंटे की मतगणना मे गठबंधन का राउंड के क्रमानुसार स्थिति मजबूत होती जा रही थी ग्यारह हजार से ऊपर की  बढ़त चल रही थी तब ऐसा लग रहा था कि गठबंधन जीत जायेगा । क्यो कि तब  कांग्रेस की स्थिति घड़े मे पड़ती बूंद की तरह थी । बहरहाल जैसा कि कहा जाता है कि " जिसके हाथ मे लोई उसका सब कोई " नसीब के प्रबल बीजेपी उम्मीदवार प्रवीण निषाद का भाग्य साथ देना जहां शुरू किया वही दाहिना हाथ स्वरूप बाहुबली ग्रह बनकर टूट पड़े और चुनावी इतिहास के उस पटल पर दस्तक दे दिया जहां कांग्रेस के बीस हजार के लगभग मत प्राप्ति का रिकार्ड दर्ज था । कांग्रेस का मत संख्या का बढ़ना गठबंधन को जीत से एक - एक कदम पीछे ढकेलना साबित हो रहा था । अगर कांग्रेस की बढ़त न हुईं होती तो बीजेपी का सीट निकलना नामुमकिन था । अगर हम चुनावी समर के थोड़ा पीछे जाकर देखे जब बाहुबली का लड़ना सुनिश्चित नही हुआ था तब खुले तौर पर यह चर्चा जोरो मे चल रहा था कि गठबंधन की सीट यहां से निश्चित रुप से निकला हुआ है । क्यो कि पूर्व के लोकसभा चुनाव मे सपा - बसपा का मत प्रतिशत को जोड़कर देखा जा रहा था उस लिहाज से गठबंधन की सीधी लड़ाई बीजेपी से क्या कहे किसी से नही था । अगर यह कहा जाय कि स्थिति एक तरफा था तो कोई अतिशयोक्ति नही होनी चाहिए ।

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