भारत के वर्तमान हालात - अधिवक्ता रामनाथ महतों

जो हालात अभी वर्तमान भारत का है मुझको तो नहीं लगता है जो सरकार आएगा वह जनता-जनार्दन के हित में निर्णय कर पाएगा कारण है सभी इतना अधिक लुटाके आए हैं की उसकी भरपाई करने में उनके सारे लोग लग जाएँगे यही असल सच्चाई है दावा सब करते है मगर हकीकत है वह छिपाया नहीं जा सकता है चुनाव के लिए राजनैतिक दल को चँदा देनेवाले बड़े बड़े पुंजीपती इसी उम्मीद से चँदा देते हैं सरकार आएगा हमसबों के हित में सोचेगा और यही होता है सरकार बनते ही उनका कर्ज चुकाने में और अपना खर्च भी निकालने में सब लग जाते हैं जिसके कारण चुनाव खत्म होते ही हर चीज का रेट बढ़ने लगता है उदाहरण स्वरूप अभी पेट्रोल डीजल का दाम बढ़ा जो आप देख सकते हैं देखिए मँहगाई यही कारण है की कोई सरकारें आजतक रोक नहीं पाया है सता पाने के लिए सभी बहुत पहले से सेटिंग करने में लग जाते हैं की अबकी बार जनता-जनार्दन के मन को अपने ओर आकर्षित कैसे करेंगे इसके लिए हमारे देश के नेतागण हद को पार कर गंदी राजनीति का सहारा भी लेते हैं जो समझ के पड़े होता है जरा सोचिए हमसब जनता-जनार्दन को किया चाहिए सुलभ शिक्षा, सुलभ स्वास्थ,भोजन की बस्तुएँ सस्ती और कुछ मुलभुत सुबिधाएँ जो आजतक कोई सरकारें दे नहीं सका हर जगह लोग परेशान है जबकि सरकार चाह लें तो सिर्फ पाँच मिनट का काम है निर्णय लेने में की मेरे हिन्दुस्तान में ऐसा करना है मगर सरकारें कर नहीं पाती है कारण उन्हीं सबके चँदे से तो चुनाव में हेलीकॉप्टर सबकी उड़ती है 
सिर्फ सब कहते है की जातियता हम नहीं करते है जबकि जातियता का सेटिंग कर ही चुनाव का माहौल तैयार करने के लिए NDA,UPA, महागठबंधन सभी बड़े बड़े राजनैतिक दल के सुप्रीमो बनाएँ हुए हैं कारण हमारे हिन्दुस्तान भर में जितनी जाति उतनी राजनैतिक पार्टी बना है किसी के पास कोई स्पष्ट और पारदर्शी सोच नहीं है पैमाना मापदंड भरा की सब अपने ही हिन्दुस्तान में खंड खंड सबको बाँटे हुए हैं लोग एक दुसरे के दुश्मन हो रहे हैं और हमारे हिन्दुस्तान के नेतागण चुनाव होने के साल दो साल पहले से सेटिंग करने में वक्त बर्बाद करते हैं की किस किस जाति के मुखोटा को अपने पक्ष में करें की उस जाति समाज का वोट उनसब जाति समाज के सौदागरों के वजह से NDA,UPA, महागठबंधन को मिलें और यही होता भी रहा है दावा सभी करते हैं की हमने जातियता नहीं की है मगर हमारे देश के नेतागण इस तरह से टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं की जनता-जनार्दन के समझ के पड़े हो जाता है एक मुखोटा को खुब प्रचारित करते हैं खुब खर्चते हैं मीडिया भी हमारे हिन्दुस्तान का अपना मोरल इतना गिराए हुए हैं की पुछिए मत सिर्फ गौर कीजिए कहने का मतलब है जो हिन्दुस्तान के जनता-जनार्दन को मिलना चाहिए वह कोई दे नहीं पाता है सिर्फ सब थोड़ी थोड़ी खेराते बाँटकर वक्त पाँच साल बिता देते हैं और फिर वही लीलाएँ चुनाव का वक्त आने के दो साल पहले से जुगाड़ सेटिंग NDA,UPA, महागठबंधन को आगे करने में लग जाते हैं उसका उसमें तो उसका उसमें का खेल चलता रहता है और हमसब बोली जनता-जनार्दन इन लोगों के कुटीर चालों को समझ ना पाते हैं और जल्दबाजी में मीडिया के द्वारा दिखाएँ मार्ग पर सरकारें बदलते रहते हैं जो अब हम हिन्दुस्तान भर के जनता-जनार्दन से बस यही कहेंगे ।
(सोच बदलो तभी हिन्दुस्तान का हालात बदलेगा वर्ना सरकारें आती जाती रहेगा और हिन्दुस्तान अपना ज्यों का त्यों पड़ा रहेगा)
कहने का मतलब है अब हमारे हिन्दुस्तान भर के जनता-जनार्दन को दल बल की राजनीति से उपर उठकर सरकार से सीधी बात करनी होगा की अब ऐसे नहीं ऐसे चलो मुझे सिर्फ सुलभ शिक्षा,सुलभ स्वास्थ ,भोजन की बस्तुएँ सस्ती और कुछ मुलभुत सुबिधाएँ सब पैमाना मापदंड तय करो।
चुनाव जीते उम्मीदवारों को क्षेत्र में रहने का ऐलान करों ना कि चुनाव जीतकर जाकर दिल्ली में ऐश करें।
सासंद , विधायक, राज्यसभा सदस्य ,विधान पार्षद वगैरह-वगैरह का पेंशन सुबिधा बंद करों नहीं तो हम सबों का पेंशन जो बंद हुआ है उसे चालु करों।
अब हिन्दुस्तान भर के जनता-जनार्दन को सरकारें से काम लेना होगा अपना हक के साथ की हम राजा है तुमसब सेवक हो।
आगे हमारे हिन्दुस्तान के जनता-जनार्दन हमारे कहे एक एक शब्दों पर चिंतन करें और............
अधिवक्ता रामनाथ महतो , संस्थापक
भारत विकास विचार मंच
राजनीति शुद्धिकरण विचार मंच
भारतीय जनता हितैषी मोर्चा
जन समस्या निदान मोर्चा
बिहार प्रभारी , हिन्दुस्तान निर्माण दल

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.