हर साल की तरह इस साल भी 18 मई को गोसे पाक का उर्स मनाया गया

उन्नाव बांगरमऊ खैरूद्दीनपुर,नौबातगंज में गौस पाक का उर्स मनाया गया।उर्स में रोज़ा इफ्तार और सहरी़ का बेहतरीन इंतजाम किया गया और रात भर लंगर ज़ारी रहा।सीतापुर से आए कव्वाल शकील ने बेहतरीन कलाम पेश किए।
हाजी सय्यद बहादुर शाह क़ादरी जो कि लगभग 70 साल पहले आकर यहां पर रुके थे और आपने आर्मी की नौकरी छोड़कर पैदल हज किया और करीब 2 साल तक अरब में मक्का शरीफ,मदीना शरीफ,कर्बला, बैतुल मुकद्दस,बगदाद और अरब के तमाम तारीखी मकामात पर घूमते रहे फिर आप हिंदुस्तान आकर हिमाचल के बिलासपुर की पहाड़ियों में 48 साल इबादत करते रहे।नौबतगज के इलाक़े में बहुत सारी कारामते बाबा की मशहूर हैं जैसे सांप के काटने पर काटने वाली जगह पर मुंह लगाकर ज़हर को पी जाना,पूरे गांव को आग लगने पर पैदल गंगा पार करा देना,40 दिन ज़मीन के अंदर समाधि लेना,रेल के आगे दौड़ लगाना और अपनी दुवाओं से तमाम मरीजों और दुखियारों की परेशानियों को दूर करना।आपने 11 फरवरी 2011में इस फानी दुनिया को अलविदा कह दिया था।आप इस इलाक़े में कई नामों से जाने जाते हैं जैसे बगिया वाले बाबा,मौलवी साहब,बहादुर शाह बाबा आदि।आप के ज़माने से 18 मई को गौस पाक का उर्स मनाया जाता रहा है।इस बार भी उसी तरह उर्स मनाया गया और तमाम आस पास के हिन्दू और मुसलमानों ने मिलकर मोहब्बत का पैग़ाम दिया।

 उन्नाव से मोहम्मद इदरीश की रिपोर्ट

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