योगीराज में सवर्णीय जातिवाद चरम पर
लोक सेवा आयोग में डाॅ.अनिल यादव अध्यक्ष थे,तो उनके तीन साल के कार्यकाल में 97 में यादव जाति के कुल 14 पीसीएस सलेक्ट हुए थे, तो भाजपा,आरएसएस,विहिप और विद्यार्थी परिषद की नेकरछाप जमात ने आसमान सिर पर उठा लिया था। इलाहाबाद में लोक सेवा आयोग के दफ्तर पर यादव सेवा आयोग लिख दिया था। तब इस झूठ को मीडिया ने भी खूब बढा-चढा कर दिखाया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने झूठे कुप्रचार के आधार पर फैसला सुना दिया। जबकि आरोपों में न कोई आधार थे और न कोई सबूत। हाई कार्ट को लगा था देश में सिर्फ यादव ही सभी पीसीएस बन जाएंगे। आानन-फानन में सीबीआई को पीसीएस भर्ती में कथित गडबडी की जांच सौंपने का फरमान सुना दिया। जांच प्रभावित न हो,इस आधार पर डाॅ.अनिल यादव से अध्यक्ष पद से हटने को कहा गया। डाॅ.अनिल यादव हट भी गए। अब लाख टके का सवाल, सीबीआई क्यों बताती? उसने पांच साल से हडप्पा की खुदाई की तरह यूपीपीसीएस में जांच में कुछ मिला भी या नहीं। यदि नहीं मिला तो रिपोर्ट हाई कोर्ट में क्यों दाखिल नहीं करती है?यदि इस जांच में कुछ नहीं मिला है, तो झूठे आरोप लगाने वालों को हाई कोर्ट क्या सजा देगा ?
*3 साल में कुल 14 एसडीएम बने थे यादव*
सूबे में ठाकुर अजय कुमार सिंह बिष्ट के मुख्यमंत्री कार्यकाल में लोक सेवा आयोग के पहले साल के जो नतीजे आए हैं, उसमें 147 ब्राह्मण भर्ती हो गए। ये कमाल कैसे हो गया भाई, है कोई बताने वाला ? अब कोई नहीं बोल रहा है जिन्हें 14 यादव अभ्यर्थियों के पीसीएस बनने पर लोक सेवा आयोग यादव सेवा आयोग नजर आर रहा था ।अब उन्हें 147 ब्राह्मणों के सलेक्ट होने पर ब्राह्मण आयोग क्यों नहीं दिखाई देता है? जो विद्यार्थी परिषद इलाहाबाद से लेकर आगरा तक सडक पर उतर आई थी, अब क्यों खामोश है ? कमाल है भाई। यादव तो तब तीन साल 2011, 2012 और 2013 में कुल 14 एसडीएम बने थे। इस बार तो घोर अंधेरगर्दी में भी एक ही साल में 32 बन गए हैं।
*एससी और ओबीसी अपने दम पर बढ रहे हैं आगे*
यादव और दीगर एससी ओबीसी जातियों में उभरती प्रतिभा दबा पाना किसी के हाथ में नहीं हैे। एससी और ओबीसी अब भूखे रहकर इलाहाबाद में रात दिन पढते हैं, जनाब। मैंने खुद देखा है। तीन साल पहले यूपी बोर्ड के 10 में से 8 टापर कुर्मी और यादव थे। ओबीसी तो क्रिकेट की टीम इंडिया में भी अपनी प्रतिभा के बूते धाक जमा रहे हैं। वे तो पूरे भारत में दीगर कौमों से मुकाबला कर रहे हैं। उमेश यादव, जयंत यादव, अक्षर पटेल, भुवनेश्वर कुमार, कुलदीप यादव। जबकि इनका कोई पैरोकार नहीं है। यूपी के ओबीसी के खिलाडियों का कभी कोई पैरोकार नहीं रहा। न कभी ज्योति वाजपेयी, न गोपाल शर्मा और न ही राजीव शुक्ला पैरोकार रहे। मोहम्मद कैफ और प्रवीन कुमार भी अपने दम पर आगे बढ़े।
*ओबीसी,एससी रहे खामोश तो मांफ नहीं करेगा इतिहास*
अब कोई चैनल नहीं दिखा रहा है, एक जाति विशेष के 147 एडसीएम ठाकुर,ब्राह्मण कैसे सलेक्ट हो गए ? *सपा सरकार के दौर में तीन साल में महज 14 एसडीएम यादव जाति के सलेक्ट होने पर सपा सरकार व अखिलेश यादव पर यादववाद का आरोप लगा रहे थे।उन्हें अब ब्राह्मणवाद व ठाकुरवाद क्यों नजर नहीं आ रहा है?* कुर्मी, काछी, लोधी, निषाद, जाट, गुर्जर, पाल बघेल, राजभर, सुनार, सविता, प्रजापति, जाटव, कोरी, बाल्मीकि, पासी, खटीक, धोबी, धानुक, भडभूजा, तेली, बढई, कलार,गोंड़,खरवार,कोल,पनिका, नाई,किसान, सपेरा,चौहान, बिन्द, बियार,विश्वकर्मा,बरई,बारी आदि ओबीसी और एससी जातियों के युवाओं अब क्यों खामोश हो ? तुम्हारी, आज खामोशी, तुम्हारी कौम को गर्त में ले जाएगी। इतिहास और तुम्हारी नश्लें इसके लिए तम्हें कभी माफ नहीं करेंगी। *क्या तुम्हारी अब भी आंखें नहीं खुल रही हैं? तुम्हारा ध्यान इस तरफ न जाए, इसलिए मीडिया राफेल, राम मंदिर और कश्मीर, देश की सुरक्षा, पाकिस्तान पोषित आतंकवाद का भय दिखाकर ध्यान भटकाता रहेगा। ताकि नौकरियां लूटने वालों की तरफ तुम्हारा ध्यान ही न जाए। डाॅ.अनिल यादव ने बहादुरी से इसी लूटतंत्र को रोक दिया था। इसलिए उनके खिलाफ साजिश रची गई थी।*
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*ठाकुर कौम भी हुई लाभान्वित*
और हां, लोक सेवा आयोग में ब्राह्मणों के साथ लूट में ठाकुरों ने भी भरपूर हाथ मारा है। ऐसा महज ठाकुर अजय कुमार विष्ट के मुख्यमंत्री होने के कारण ही संभव हो पाया है। कहीं अजय कुमार सिंह विष्ट उँगली न उठा दें। यही कारण है कि जिस ठाकुर जाति के एक बार में कभी 20 अभ्यर्थी चयनित नहीं हुए, इस दफा एक ही बार 80 एसडीएम सलेक्ट हो गए। जबकि किसी जमाने में 40 फीसदी पीसीएस सलेक्ट होने वाली कायस्थ जाति के इस बार महज चार अभ्यर्थी ही चयनित हो पाए।
ठाकुर और ब्राह्मण जाति के अभ्यार्थियों की सरकारी नौकरी में सीधे भर्ती खेल की एक बानगी और देखिए। विधान सभा सचिवालय में करीब ढाई सौ तीसरे ग्रेड के कर्मचारियों की सीधी भर्ती हुई। इसमें से 142 ठाकुर-पंडित भर्ती कर लिए गए। इन भर्तियों में न तो एससी और न ही ओबीसी का रिजर्वेशन कोटा सिस्टम लागू किया गया। अब सब अंधे, गूंगे और बहरे हो गए हैं। कोई चूं तक नहीं बोल रहा है। जिनके हक पर डाका पड़ रहा है,उनके जो रहनुमा सत्ता के साथ हैं, उनमें न स्वामी प्रसाद मौर्य, न केशव प्रसाद मौर्य और न ही एस.पी. सिंह बघेल,धर्मपाल सिंह लोधी,स्वतंत्रदेव सिंह,अनुपम जायसवाल या दीगर ओबीसी और एससी मंत्री या नेता मुंह खोल रहा है।ओम प्रकाश राजभर हो हल्ला जरूर करते हैं,पर उनका चिंतन वर्गीय हित की बजाय सौदेबाज़ी की रहती है।अनुप्रिया अपने पति तो ओमप्रकाश राजभर अपने बेटों की सेटिंग के लिए ही ऐंठन दिखाते हैं।
*ये हैं असल गुनाहगार*
दरअसल ओबीसी व एससी का दुश्मन न आरएसएस है और न बीजेपी। असली दुश्मन उमा भाारती, राजवीर सिंह राजू, पंकज चौधरी, साक्षी महाराज, अनुप्रिया पटेल, विनय कटियार, ओम प्रकाश सिंह, स्वतंत्रदेव सिंह, प्रेमलता कटियार, संतोष गंगवार, स्वामीप्रसाद मौर्य, केशव प्रसाद सिंह और एसपी सिंह बघेल जैसे नेता हैं,जो एससी और ओबीसी के नाम पर सांसद, विधायक और मंत्री तो बन जाते हैं, पर सत्ता में मलाई चाटने के लिए अपने वर्ग के साथ नाइंसाफी पर खामोशी ओढ लेते हैं।
*ओबीसी,एससी के नायक को भाजपा व गोदी मीडिया ने दुष्प्रचार कर बना दिया खलनायक*
असल में ईमानदारी से देखा जाय तो यादव जाति ग़ैरयादव पिछड़ी व दलित जातियों का नायक रहा है।जिसने सामन्तों,शोषकों से पिछड़ों-दलितों के मान-सम्मान,इज्ज़त-आबरू की रक्षा के लिए रक्षा कवच बना,लाठी-डंडा लेकर बीच में खड़ा हुआ।सामंती सवर्णों के अत्याचार व अन्याय का सामना यादवों ने ही किया।पर,कान के कच्चे अतिपिछड़ी जातियों ने भाजपा का दुष्प्रचार व मिथ्यारोप के झांसे में आकर भटक गई।
*योगी ने जातिवाद की हदें पार कर दिया*
*जब से बब्बा योगी सीएम बना है,जातिवाद की हदें लांघ गए हैं।अधिकारियों की पोस्टिंग में सवर्णो विशेषकर योगी व दिनेश शर्मा की ही जाति को प्राथमिकता दी जा रही है।योगी ने 753 विधिक अधिकारियों का मनोनयन उच्च न्यायालय में किया,जिसमे मात्र 57 ही विधिक अधिकारी ओबीसी,एससी, एसटी व अल्पसंख्यक वर्ग के बनाये गए,क्या यह जातिवाद नहीं?उत्तर प्रदेश उच्च न्यायिक सेवा आयोग द्वारा 24 अप्रैल,2017 को घोषित परिणाम में 61 में 52 स्वर्ण जज हुए।गोरखपुर विश्वविद्यालय में 71 में 66 सवर्ण(38 ठाकुर व 24 ब्राह्मण) प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर बनाये गए,क्या यह जातिवाद नहीं है?मा. उच्चतम न्यायालय में 77 सरकारी वकील बनाये गए,जिसमे मात्र 2 ओबीसी के व अन्य सभी सवर्ण,क्या यह सामाजिक न्याय है?* भाजपा व योगी के जातिवाद को आमजन व अंधभक्त पिछड़े-दलित समझें,अपनी आंखें खोले।अन्यथा ,1980 से पहले की स्थिति में पहुंच जाओगे।खटिया,कुर्सी की बात तो दूर ज़मीन पर भी नहीं बैठ पाओगे।गुमराहियत छोड़ो,सामाजिक न्याय व संविधान के रक्षार्थ भाजपा का साथ छोड़ो,अन्यथा अगली पीढ़ी मांफ नहीं करेगी।